श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 59: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  3.59.5 
 
 
एवमुक्तस्तु सौमित्रिर्लक्ष्मण: शुभलक्षण:।
भूयो दु:खसमाविष्टो दु:खितं राममब्रवीत्॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  श्री रामचन्द्र जी के ऐसा कहने पर सर्वश्रेष्ठ गुणों से विभूषित सुमित्रा कुमार लक्ष्मण अत्यधिक दुखी होकर अपने दुखी भाई श्री राम से बोले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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