श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 59: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  3.59.27 
 
 
शराहतेनैव तदार्तया गिरा
स्वरं ममालम्ब्य सुदूरसुश्रवम्।
उदाहृतं तद् वचनं सुदारुणं
त्वमागतो येन विहाय मैथिलीम्॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘जब श्रीराम बाण से घायल हुए थे, तब देवी सीता ने आर्तनाद में उनके स्वर की नकल करके एक बहुत भयानक बात दूर-दूर तक सुनाई दी थी, जिसके कारण आपने मिथिला की राजकुमारी सीता को छोड़कर यहाँ आने का फैसला किया था’।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे एकोनषष्टितम: सर्ग:॥ ५९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें उनसठवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ५९॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.