श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 59: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  3.59.24 
 
 
सर्वथा त्वपनीतं ते सीतया यत् प्रचोदित:।
क्रोधस्य वशमागम्य नाकरो: शासनं मम॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हें सीता के बहकावे में आकर, क्रोध के वश में होकर मेरे आदेश का पालन न करना सर्वथा अनुचित था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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