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श्लोक 23
श्लोक
3.59.23
नहि ते परितुष्यामि त्यक्त्वा यदसि मैथिलीम्।
क्रुद्धाया: परुषं श्रुत्वा स्त्रिया यत् त्वमिहागत:॥ २३॥
अनुवाद
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मैं तेरे इस कार्य से संतुष्ट नहीं हूँ कि क्रोध में भरी हुई स्त्री की कठोर वाणी सुनकर तूने मैथिली कुमारी को छोड़कर यहाँ आ गया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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