श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 59: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  3.59.21 
 
 
एवं ब्रुवाणं सौमित्रिं राम: संतापमोहित:।
अब्रवीद् दुष्कृतं सौम्य तां विना त्वमिहागत:॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार बोलते हुए श्री रामचंद्र जी संताप से मोहित होकर लक्ष्मण से बोले - "सौम्य! तुमने बड़ा बुरा किया, जो तुम सीता को छोड़कर यहाँ चले आये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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