वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 59: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत
»
श्लोक 2
श्लोक
3.59.2
तमुवाच किमर्थं त्वमागतोऽपास्य मैथिलीम्।
यदा सा तव विश्वासाद् वने विरहिता मया॥ २॥
अनुवाद
play_arrowpause
लक्ष्मण! जिस सीता को मैंने विश्वास में तुम्हारे सहारे ही वन में छोड़ा था, उसे तू अकेले छोड़कर वापस कैसे आ गया?
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.