श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 59: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  3.59.19 
 
 
रिपु: प्रच्छन्नचारी त्वं मदर्थमनुगच्छसि।
राघवस्यान्तरं प्रेप्सुस्तथैनं नाभिपद्यसे॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम अपने भाई के छिपे हुए दुश्मन हो और श्रीराम का अनुसरण सिर्फ मेरे लिए कर रहे हो। श्रीराम के दोष ढूंढ रहे हो लेकिन संकट के समय उनके पास जाने की हिम्मत नहीं कर पाते।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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