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श्लोक 18
श्लोक
3.59.18
संकेताद् भरतेन त्वं रामं समनुगच्छसि।
क्रोशन्तं हि यथात्यर्थं नैनमभ्यवपद्यसे॥ १८॥
अनुवाद
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संकेतानुसार, भरत के इशारे पर ही तू स्वार्थ के कारण श्रीरामजी के पीछे-पीछे आया है। तभी तो वे ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहे हैं और तू उनके पास तक नहीं जाता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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