श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 59: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.59.16 
 
 
एवमुक्ता तु वैदेही परिमोहितचेतना।
उवाचाश्रूणि मुञ्चन्ती दारुणं मामिदं वच:॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  विदेहराज-कुमारी की चेतना को मेरे ऐसा कहने पर ऐसा झटका लगा कि वे मूर्छित हो गई। आँसू बहाती हुई उन्होंने मुझे बहुत कठोर शब्द कहे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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