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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 58: मार्ग में अनेक प्रकार की आशङ् का करते हुए लक्ष्मण सहित श्रीराम का आश्रम में आना और वहाँ सीता को न पाकर व्यथित होना
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श्लोक 7
श्लोक
3.58.7
सीतानिमित्तं सौमित्रे मृते मयि गते त्वयि।
कच्चित् सकामा कैकेयी सुखिता सा भविष्यति॥ ७॥
अनुवाद
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सुमित्रानंदन! सीता के खो जाने के कारण जब मैं मर जाऊँगा और तुम अकेले ही अयोध्या लौटोगे, तब क्या माता कैकेयी अपने मनोरथों को पूरा करके सुखी होगी?
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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