प्रस्थितं दण्डकारण्यं या मामनुजगाम ह।
क्व सा लक्ष्मण वैदेही यां हित्वा त्वमिहागत:॥ २॥
अनुवाद
हे लक्ष्मण! दण्डकारण्य की यात्रा पर अयोध्या से चल पड़ने के पश्चात् मेरे पीछे-पीछे आने वाली और जिसे तुम अकेली छोड़कर यहाँ आ गये हो, वो विदेहराज की पुत्री सीता इस समय कहाँ है?