श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 58: मार्ग में अनेक प्रकार की आशङ् का करते हुए लक्ष्मण सहित श्रीराम का आश्रम में आना और वहाँ सीता को न पाकर व्यथित होना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  3.58.18 
 
 
इति सीतां वरारोहां चिन्तयन्नेव राघव:।
आजगाम जनस्थानं त्वरया सहलक्ष्मण:॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार, राघव श्रीरघुनाथजी, लक्ष्मण सहित, सीता के बारे में चिंतन करते हुए, शीघ्र ही जनस्थान पहुँच गये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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