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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 58: मार्ग में अनेक प्रकार की आशङ् का करते हुए लक्ष्मण सहित श्रीराम का आश्रम में आना और वहाँ सीता को न पाकर व्यथित होना
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श्लोक 13
श्लोक
3.58.13
सर्वथा रक्षसा तेन जिह्मेन सुदुरात्मना।
वदता लक्ष्मणेत्युच्चैस्तवापि जनितं भयम्॥ १३॥
अनुवाद
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उस कपटी और दुष्ट राक्षस ने ऊँची आवाज़ में "अरे लक्ष्मण!" ऐसा पुकारकर तुम्हारे मन में भी पूरी तरह से भय उत्पन्न कर दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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