श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 58: मार्ग में अनेक प्रकार की आशङ् का करते हुए लक्ष्मण सहित श्रीराम का आश्रम में आना और वहाँ सीता को न पाकर व्यथित होना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.58.11 
 
 
ब्रूहि लक्ष्मण वैदेही यदि जीवति वा न वा।
त्वयि प्रमत्ते रक्षोभिर्भक्षिता वा तपस्विनी॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण! मुझे शीघ्रता से बताओ कि सीता जीवित हैं या नहीं। क्या तुम्हारी लापरवाही में राक्षसों ने उस तपस्विनी को खा तो नहीं लिया?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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