वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 58: मार्ग में अनेक प्रकार की आशङ् का करते हुए लक्ष्मण सहित श्रीराम का आश्रम में आना और वहाँ सीता को न पाकर व्यथित होना
»
श्लोक 1
श्लोक
3.58.1
स दृष्ट्वा लक्ष्मणं दीनं शून्यं दशरथात्मज:।
पर्यपृच्छत धर्मात्मा वैदेहीमागतं विना॥ १॥
अनुवाद
play_arrowpause
दशरथ जी के पुत्र श्री राम ने लक्ष्मण को उदास और सीता जी को साथ में न देखकर उनसे पूछा-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.