श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 57: श्रीराम का लौटना, मार्ग में अपशकुन देखकर चिन्तित होना तथा लक्ष्मण से सीता पर सङ्कट आने की आशङ्का करना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  3.57.9 
 
 
अपि स्वस्ति भवेद् द्वाभ्यां रहिताभ्यां मया वने।
जनस्थाननिमित्तं हि कृतवैरोऽस्मि राक्षसै:॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  क्या हम दोनों भाइयों के आश्रम से अलग हो जाने पर सीता वन में सुखपूर्वक रह पाएंगी? जनस्थान में राक्षसों का विनाश किया गया था, जिसके कारण सभी राक्षस मुझसे शत्रुता रखते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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