श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 57: श्रीराम का लौटना, मार्ग में अपशकुन देखकर चिन्तित होना तथा लक्ष्मण से सीता पर सङ्कट आने की आशङ्का करना  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  3.57.2 
 
 
तस्य संत्वरमाणस्य द्रष्टुकामस्य मैथिलीम्।
क्रूरस्वनोऽथ गोमायुर्विननादास्य पृष्ठत:॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  वे सीता को देखने के लिए जल्दी-जल्दी कदम बढ़ा रहे थे। उसी समय उनके पीछे से एक सियारिन ने एक क्रूर स्वर में चीखना शुरू कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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