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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 57: श्रीराम का लौटना, मार्ग में अपशकुन देखकर चिन्तित होना तथा लक्ष्मण से सीता पर सङ्कट आने की आशङ्का करना
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श्लोक 14
श्लोक
3.57.14
ततो लक्ष्मणमायान्तं ददर्श विगतप्रभम्।
ततोऽविदूरे रामेण समीयाय स लक्ष्मण:॥ १४॥
अनुवाद
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तब उन्हें लक्ष्मण आते दिखाई दिए। उनके चेहरे पर उदासी थी और उनके कदम भारी थे। कुछ ही देर में वे श्रीराम के पास पहुँच गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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