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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 57: श्रीराम का लौटना, मार्ग में अपशकुन देखकर चिन्तित होना तथा लक्ष्मण से सीता पर सङ्कट आने की आशङ्का करना
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श्लोक 13
श्लोक
3.57.13
तानि दृष्ट्वा निमित्तानि महाघोराणि राघव:।
न्यवर्तताथ त्वरितो जवेनाश्रममात्मन:॥ १३॥
अनुवाद
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श्रीरामचन्द्रजी ने उन अत्यंत भयावह अपशकुनों को देखकर तुरंत ही बड़ी तेज़ी से अपने आश्रम की ओर वापसी की।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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