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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 57: श्रीराम का लौटना, मार्ग में अपशकुन देखकर चिन्तित होना तथा लक्ष्मण से सीता पर सङ्कट आने की आशङ्का करना
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श्लोक 10-11h
श्लोक
3.57.10-11h
निमित्तानि च घोराणि दृश्यन्तेऽद्य बहूनि च।
इत्येवं चिन्तयन् राम: श्रुत्वा गोमायुनि:स्वनम्॥ १०॥
निवर्तमानस्त्वरितो जगामाश्रममात्मवान्।
अनुवाद
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श्रीराम ने गीदड़ों की बात सुनकर चिंता करते हुए मन को वश में रखा और तुरंत ही वापस लौटकर आश्रम की ओर प्रस्थान किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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