श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 56: सीता का श्रीराम के प्रति अपना अनन्य अनुराग दिखाकर रावण को फटकारना तथा रावण की आज्ञा से राक्षसियों का उन्हें अशोकवाटिका में ले जाकर डराना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  3.56.4 
 
 
इक्ष्वाकूणां कुले जात: सिंहस्कन्धो महाद्युति:।
लक्ष्मणेन सह भ्रात्रा यस्ते प्राणान् वधिष्यति॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  इक्ष्वाकुकुल में जन्मा वह वीर, जिसके कंधे सिंह के समान मज़बूत और तेजस्वी हैं, वह लक्ष्मण नामक अपने भाई के साथ आकर तेरे प्राणों का अंत कर देगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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