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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 56: सीता का श्रीराम के प्रति अपना अनन्य अनुराग दिखाकर रावण को फटकारना तथा रावण की आज्ञा से राक्षसियों का उन्हें अशोकवाटिका में ले जाकर डराना
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श्लोक 33
श्लोक
3.56.33
सर्वकामफलैर्वृक्षैर्नानापुष्पफलैर्वृताम्।
सर्वकालमदैश्चापि द्विजै: समुपसेविताम्॥ ३३॥
अनुवाद
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वह वाटिका समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले कल्पवृक्षों से भरी थी, साथ ही विभिन्न प्रकार के फूलों और फलों से सुसज्जित अन्य वृक्षों से भी भरी थी। उस वाटिका में सभी समय मधुर स्वर में चहचहाने वाले पक्षी निवास करते थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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