श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 56: सीता का श्रीराम के प्रति अपना अनन्य अनुराग दिखाकर रावण को फटकारना तथा रावण की आज्ञा से राक्षसियों का उन्हें अशोकवाटिका में ले जाकर डराना  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  3.56.32 
 
 
इति प्रतिसमादिष्टा राक्षस्यो रावणेन ता:।
अशोकवनिकां जग्मुर्मैथिलीं परिगृह्य तु॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण के इस प्रकार आदेश देने पर वे राक्षसियाँ मैथिली को साथ लेकर अशोकवाटिका की ओर चली गईं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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