श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 56: सीता का श्रीराम के प्रति अपना अनन्य अनुराग दिखाकर रावण को फटकारना तथा रावण की आज्ञा से राक्षसियों का उन्हें अशोकवाटिका में ले जाकर डराना  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  3.56.29 
 
 
स ता: प्रोवाच राजासौ रावणो घोरदर्शना:।
प्रचल्य चरणोत्कर्षैर्दारयन्निव मेदिनीम्॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  तब राजा रावण अपने पैरों के प्रचंड ध्वनि से पृथ्वी को जैसे विदीर्ण करता हुआ दो-चार कदम चलकर उन भयावह राक्षसियों से बोला—।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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