श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 56: सीता का श्रीराम के प्रति अपना अनन्य अनुराग दिखाकर रावण को फटकारना तथा रावण की आज्ञा से राक्षसियों का उन्हें अशोकवाटिका में ले जाकर डराना  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  3.56.28 
 
 
वचनादेव तास्तस्य सुघोरा घोरदर्शना:।
कृतप्राञ्जलयो भूत्वा मैथिलीं पर्यवारयन्॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण के इतना कहते ही वे सुघोरा नामक भयंकर दिखाई देने वाली और अत्यन्त घोर राक्षसियाँ हाथ जोड़े मैथिली को चारों ओर से घेरकर खड़ी हो गईं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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