श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 56: सीता का श्रीराम के प्रति अपना अनन्य अनुराग दिखाकर रावण को फटकारना तथा रावण की आज्ञा से राक्षसियों का उन्हें अशोकवाटिका में ले जाकर डराना  »  श्लोक 23-24h
 
 
श्लोक  3.56.23-24h 
 
 
सीताया वचनं श्रुत्वा परुषं रोमहर्षणम्॥ २३॥
प्रत्युवाच तत: सीतां भयसंदर्शनं वच:।
 
 
अनुवाद
 
  रावण ने सीता के कठोर और रोंगटे खड़े कर देने वाले वचन सुनकर उनसे भयभीत होने का नाटक किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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