श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 56: सीता का श्रीराम के प्रति अपना अनन्य अनुराग दिखाकर रावण को फटकारना तथा रावण की आज्ञा से राक्षसियों का उन्हें अशोकवाटिका में ले जाकर डराना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  3.56.17 
 
 
मां प्रधृष्य स ते काल: प्राप्तोऽयं राक्षसाधम।
आत्मनो राक्षसानां च वधायान्त:पुरस्य च॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘अधम निशाचर! मेरा अपहरण करनेके कारण तेरे लिये भी वही काल आ पहुँचा है। तेरे अपने लिये, सारे राक्षसोंके लिये तथा इस अन्त:पुरके लिये भी विनाशकी घड़ी निकट आ गयी है॥ १७॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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