श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 56: सीता का श्रीराम के प्रति अपना अनन्य अनुराग दिखाकर रावण को फटकारना तथा रावण की आज्ञा से राक्षसियों का उन्हें अशोकवाटिका में ले जाकर डराना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  3.56.12 
 
 
गतासुस्त्वं गतश्रीको गतसत्त्वो गतेन्द्रिय:।
लङ्का वैधव्यसंयुक्ता त्वत्कृतेन भविष्यति॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  तू यह जान जा कि अब तेरे प्राण नहीं रहे, तेरे राज्य का वैभव भी समाप्त हो गया है, तेरे बल और इन्द्रियों का भी नाश हो गया है। और तेरे दुष्कर्मों के कारण ही तेरी श्रीलंका अब विधवा हो जाएगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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