वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 56: सीता का श्रीराम के प्रति अपना अनन्य अनुराग दिखाकर रावण को फटकारना तथा रावण की आज्ञा से राक्षसियों का उन्हें अशोकवाटिका में ले जाकर डराना
»
श्लोक 10
श्लोक
3.56.10
यदि पश्येत् स रामस्त्वां रोषदीप्तेन चक्षुषा।
रक्षस्त्वमद्य निर्दग्धो यथा रुद्रेण मन्मथ:॥ १०॥
अनुवाद
play_arrowpause
यदि श्रीरामचन्द्रजी क्रोध से भरी दृष्टि से तुझे देखेंगे तो तू उसी तरह जलकर राख हो जाएगा जैसे भगवान शंकर ने कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया था।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.