वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 56: सीता का श्रीराम के प्रति अपना अनन्य अनुराग दिखाकर रावण को फटकारना तथा रावण की आज्ञा से राक्षसियों का उन्हें अशोकवाटिका में ले जाकर डराना
»
श्लोक 1
श्लोक
3.56.1
सा तथोक्ता तु वैदेही निर्भया शोककर्शिता।
तृणमन्तरत: कृत्वा रावणं प्रत्यभाषत॥ १॥
अनुवाद
play_arrowpause
रावण के ऐसा कहते ही शोक से व्याकुल बैठीं वैदेही सीता रावण के सामने आ गईं और निर्भयता से बोलीं-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.