श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 56: सीता का श्रीराम के प्रति अपना अनन्य अनुराग दिखाकर रावण को फटकारना तथा रावण की आज्ञा से राक्षसियों का उन्हें अशोकवाटिका में ले जाकर डराना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.56.1 
 
 
सा तथोक्ता तु वैदेही निर्भया शोककर्शिता।
तृणमन्तरत: कृत्वा रावणं प्रत्यभाषत॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण के ऐसा कहते ही शोक से व्याकुल बैठीं वैदेही सीता रावण के सामने आ गईं और निर्भयता से बोलीं-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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