श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 55: रावण का सीता को अपने अन्तःपुर का दर्शन कराना और अपनी भार्या बन जाने के लिये समझाना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  3.55.9 
 
 
दिव्यदुन्दुभिनिर्घोषं तप्तकाञ्चनभूषणम्।
सोपानं काञ्चनं चित्रमारुरोह तया सह॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  उस भवन में दिव्य दुन्दुभियों की मधुर ध्वनि गूंजती रहती थी। उस अंतःपुर को तपाए हुए सोने के आभूषणों से सजाया गया था। रावण सीता को साथ लेकर सोने की बनी हुई अद्भुत सीढ़ी पर चढ़ा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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