श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 55: रावण का सीता को अपने अन्तःपुर का दर्शन कराना और अपनी भार्या बन जाने के लिये समझाना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.55.8 
 
 
दान्तकैस्तापनीयैश्च स्फाटिकै राजतैस्तथा।
वज्रवैदूर्यचित्रैश्च स्तम्भैर्दृष्टिमनोरमै:॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  खंभे हाथीदाँत, शुद्ध सोना, स्फटिक, चांदी, हीरा और नीलम से जड़े हुए थे, जिससे वे अत्यधिक आकर्षक और विचित्र दिखाई दे रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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