श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 55: रावण का सीता को अपने अन्तःपुर का दर्शन कराना और अपनी भार्या बन जाने के लिये समझाना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  3.55.7 
 
 
हर्म्यप्रासादसम्बाधं स्त्रीसहस्रनिषेवितम्।
नानापक्षिगणैर्जुष्टं नानारत्नसमन्वितम्॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  वह ऊँचे महलों से युक्त था और सात मंजिल के मकान उसमें थे। सहस्रों स्त्रियाँ वहाँ रहती थीं। नाना जाति के पक्षियों के झुंड वहाँ कलरव करते थे। विभिन्न प्रकार के रत्न उस अंतःपुर की शोभा बढ़ाते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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