काल के वशीभूत होकर रावण ने मिथिलेशकुमारी जानकी से ऐसा कहा और अपने मन में सोचने लगा कि अब वह मेरे अधीन हो गयी।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे पञ्चपञ्चाश: सर्ग: ॥ ५ ५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें पचपनवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ५ ५॥