श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 55: रावण का सीता को अपने अन्तःपुर का दर्शन कराना और अपनी भार्या बन जाने के लिये समझाना  »  श्लोक 28-29h
 
 
श्लोक  3.55.28-29h 
 
 
इह सर्वाणि माल्यानि दिव्यगन्धानि मैथिलि॥ २८॥
भूषणानि च मुख्यानि तानि सेव मया सह।
 
 
अनुवाद
 
  मिथिलेशकुमारी! तुम मेरे साथ यहाँ रहकर सभी प्रकार के फूलों के हार, दिव्य सुगंध और उत्तम आभूषणों का उपयोग करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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