वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 55: रावण का सीता को अपने अन्तःपुर का दर्शन कराना और अपनी भार्या बन जाने के लिये समझाना
»
श्लोक 28-29h
श्लोक
3.55.28-29h
इह सर्वाणि माल्यानि दिव्यगन्धानि मैथिलि॥ २८॥
भूषणानि च मुख्यानि तानि सेव मया सह।
अनुवाद
play_arrowpause
मिथिलेशकुमारी! तुम मेरे साथ यहाँ रहकर सभी प्रकार के फूलों के हार, दिव्य सुगंध और उत्तम आभूषणों का उपयोग करो।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.