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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 55: रावण का सीता को अपने अन्तःपुर का दर्शन कराना और अपनी भार्या बन जाने के लिये समझाना
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श्लोक 26
श्लोक
3.55.26
लङ्काया: सुमहद्राज्यमिदं त्वमनुपालय।
त्वत्प्रेष्या मद्विधाश्चैव देवाश्चापि चराचरम्॥ २६॥
अनुवाद
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लङ्का के इस सुन्दर और विशाल राज्य का पालन करो। ऐसा राजा तुम हमेशा बने रहों जिसके आदेश पर, मुझ-जैसा राक्षस एवं देवता तथा अन्य चराचर प्राणी तुम्हारे सेवक बनकर रहें।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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