श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 55: रावण का सीता को अपने अन्तःपुर का दर्शन कराना और अपनी भार्या बन जाने के लिये समझाना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.55.26 
 
 
लङ्काया: सुमहद्राज्यमिदं त्वमनुपालय।
त्वत्प्रेष्या मद्विधाश्चैव देवाश्चापि चराचरम्॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  लङ्का के इस सुन्दर और विशाल राज्य का पालन करो। ऐसा राजा तुम हमेशा बने रहों जिसके आदेश पर, मुझ-जैसा राक्षस एवं देवता तथा अन्य चराचर प्राणी तुम्हारे सेवक बनकर रहें।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.