श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 55: रावण का सीता को अपने अन्तःपुर का दर्शन कराना और अपनी भार्या बन जाने के लिये समझाना  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  3.55.21 
 
 
राज्यभ्रष्टेन दीनेन तापसेन पदातिना।
किं करिष्यसि रामेण मानुषेणाल्पतेजसा॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम तो राज्य से भ्रष्ट हो चुके हैं, निर्धन हैं, तपस्वी हैं, पैदल चलते हैं और मनुष्य होने के कारण उनमें शक्ति भी कम है, ऐसे श्रीराम को लेकर क्या करोगी?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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