श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 55: रावण का सीता को अपने अन्तःपुर का दर्शन कराना और अपनी भार्या बन जाने के लिये समझाना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.55.20 
 
 
न देवेषु न यक्षेषु न गन्धर्वेषु नर्षिषु।
अहं पश्यामि लोकेषु यो मे वीर्यसमो भवेत्॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  देवताओं, यक्षों, गंधर्वों और ऋषियों में से कोई भी मेरे पराक्रम की बराबरी नहीं कर सकता।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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