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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 55: रावण का सीता को अपने अन्तःपुर का दर्शन कराना और अपनी भार्या बन जाने के लिये समझाना
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श्लोक 19
श्लोक
3.55.19
परिक्षिप्ता समुद्रेण लङ्केयं शतयोजना।
नेयं धर्षयितुं शक्या सेन्द्रैरपि सुरासुरै:॥ १९॥
अनुवाद
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लंका का राज्य सभी तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है और इसका विस्तार सौ योजन तक है। इन्द्र सहित सभी देवी-देवता और असुर मिलकर भी इस राज्य को नष्ट नहीं कर सकते।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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