श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 55: रावण का सीता को अपने अन्तःपुर का दर्शन कराना और अपनी भार्या बन जाने के लिये समझाना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  3.55.12 
 
 
दीर्घिका: पुष्करिण्यश्च नानापुष्पसमावृता:।
रावणो दर्शयामास सीतां शोकपरायणाम्॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण ने सीता को कई लंबी-चौड़ी झीलें और तरह-तरह के फूलों से भरे कई तालाब भी दिखाए। सीता यह सब देखकर शोक में डूब गईं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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