वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 54: सीता का पाँच वानरों के बीच अपने भूषण और वस्त्र को गिराना, रावण का सीता को अन्तःपुर में रखना
»
श्लोक 9-10h
श्लोक
3.54.9-10h
सम्भ्रमात् परिवृत्तोर्मी रुद्धमीनमहोरग:॥ ९॥
वैदेह्यां ह्रियमाणायां बभूव वरुणालय:।
अनुवाद
play_arrowpause
वरुणालय (समुद्र) में भगवान विष्णु विराजमान हैं। जब देवी जानकी को रावण अपहरण करके ले जा रहा था, तब वरुणालय बहुत घबराया। उसकी उठती हुई लहरें शांत हो गईं। उसके अंदर रहने वाली मछलियाँ और बड़े-बड़े साँप भी रुक गए।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.