श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 54: सीता का पाँच वानरों के बीच अपने भूषण और वस्त्र को गिराना, रावण का सीता को अन्तःपुर में रखना  »  श्लोक 9-10h
 
 
श्लोक  3.54.9-10h 
 
 
सम्भ्रमात् परिवृत्तोर्मी रुद्धमीनमहोरग:॥ ९॥
वैदेह्यां ह्रियमाणायां बभूव वरुणालय:।
 
 
अनुवाद
 
  वरुणालय (समुद्र) में भगवान विष्णु विराजमान हैं। जब देवी जानकी को रावण अपहरण करके ले जा रहा था, तब वरुणालय बहुत घबराया। उसकी उठती हुई लहरें शांत हो गईं। उसके अंदर रहने वाली मछलियाँ और बड़े-बड़े साँप भी रुक गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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