सम्भ्रमात् तु दशग्रीवस्तत्कर्म च न बुद्धवान्।
पिङ्गाक्षास्तां विशालाक्षीं नेत्रैरनिमिषैरिव॥ ४॥
विक्रोशन्तीं तदा सीतां ददृशुर्वानरोत्तमा:।
अनुवाद
रावण बहुत घबराया हुआ था, इसीलिए उसने सीता के इस कार्य को समझ नहीं पाया। उन लाल-पीली आँखों वाले श्रेष्ठ वानर उस समय ऊँची आवाज़ में विलाप करनेवाली बड़ी-बड़ी आँखों वाली सीता की ओर टिमटिमाते हुए आँखों से निहारने लगे।