ततस्तु सीतामुपलभ्य रावण:
सुसम्प्रहृष्ट: परिगृह्य मैथिलीम्।
प्रसज्य रामेण च वैरमुत्तमं
बभूव मोहान्मुदित: स रावण:॥ ३०॥
अनुवाद
तत्पश्चात रावण सीता को प्राप्त करके अत्यधिक हर्षित हुआ और मिथिला नरेश की कन्या सीता को राक्षसियों को सौंप दिया। श्रीराम से घोर वैर करने का संकल्प लेकर मोहवश आनन्दित होने लगा।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे चतुष्पञ्चाश: सर्ग: ॥ ५ ४॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें चौवनवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ५ ४॥