श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 54: सीता का पाँच वानरों के बीच अपने भूषण और वस्त्र को गिराना, रावण का सीता को अन्तःपुर में रखना  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  3.54.28 
 
 
युष्माकं तु बलं ज्ञातं बहुशो रणमूर्धनि।
अतश्चास्मिञ्जनस्थाने मया यूयं निवेशिता:॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हारे बल से मैं अच्छी तरह परिचित हूँ, इसलिये मैंने इस विशाल जनसमूह के बीच तुम्हें नियुक्त किया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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