श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 54: सीता का पाँच वानरों के बीच अपने भूषण और वस्त्र को गिराना, रावण का सीता को अन्तःपुर में रखना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.54.26 
 
 
जनस्थाने वसद्भिस्तु भवद्भी राममाश्रिता।
प्रवृत्तिरुपनेतव्या किं करोतीति तत्त्वत: ॥ २ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  जनस्थान में रहकर तुमलोग रामचन्द्र के आस-पास रहो और वे कब क्या कर रहे हैं, इसकी ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त करते रहो। जो कुछ भी मालूम हो, उसकी सूचना मेरे पास भेज दिया करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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