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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 54: सीता का पाँच वानरों के बीच अपने भूषण और वस्त्र को गिराना, रावण का सीता को अन्तःपुर में रखना
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श्लोक 25
श्लोक
3.54.25
तं त्विदानीमहं हत्वा खरदूषणघातिनम्।
रामं शर्मोपलप्स्यामि धनं लब्ध्वेव निर्धन:॥ २५॥
अनुवाद
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‘रामने खर और दूषणका वध किया है, अत: मैं भी इस समय उन्हें मारकर जब बदला चुका लूँगा, तभी मुझे शान्ति मिलेगी। जैसे निर्धन मनुष्य धन पाकर संतुष्ट होता है, उसी प्रकार मैं रामका वध करके शान्ति पा सकूँगा॥ २५॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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