वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 54: सीता का पाँच वानरों के बीच अपने भूषण और वस्त्र को गिराना, रावण का सीता को अन्तःपुर में रखना
»
श्लोक 23
श्लोक
3.54.23
तत: क्रोधो ममापूर्वो धैर्यस्योपरि वर्धते।
वैरं च सुमहज्जातं रामं प्रति सुदारुणम्॥ २३॥
अनुवाद
play_arrowpause
तबसे मेरे मन में पहले से भी अधिक क्रोध भर गया है और वह धैर्य की सीमा को पार कर बढ़ रहा है। इस वजह से राम के साथ मेरी बहुत बड़ी और भयंकर शत्रुता हो गई है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.