श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 54: सीता का पाँच वानरों के बीच अपने भूषण और वस्त्र को गिराना, रावण का सीता को अन्तःपुर में रखना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  3.54.23 
 
 
तत: क्रोधो ममापूर्वो धैर्यस्योपरि वर्धते।
वैरं च सुमहज्जातं रामं प्रति सुदारुणम्॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  तबसे मेरे मन में पहले से भी अधिक क्रोध भर गया है और वह धैर्य की सीमा को पार कर बढ़ रहा है। इस वजह से राम के साथ मेरी बहुत बड़ी और भयंकर शत्रुता हो गई है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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