श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 54: सीता का पाँच वानरों के बीच अपने भूषण और वस्त्र को गिराना, रावण का सीता को अन्तःपुर में रखना  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  3.54.21 
 
 
तत्रास्यतां जनस्थाने शून्ये निहतराक्षसे।
पौरुषं बलमाश्रित्य त्रासमुत्सृज्य दूरत:॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  निहतराक्षसे जनस्थाने, यहाँ राक्षसों का वध हो चुका है। तुमलोग इस सूने जनस्थान में अपने बल-पौरुष का भरोसा करके ही भय को दूर कर सकते हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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