श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 54: सीता का पाँच वानरों के बीच अपने भूषण और वस्त्र को गिराना, रावण का सीता को अन्तःपुर में रखना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.54.20 
 
 
नानाप्रहरणा: क्षिप्रमितो गच्छत सत्वरा:।
जनस्थानं हतस्थानं भूतपूर्वं खरालयम्॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  वीरों! शीघ्रता से अपने अस्त्र-शस्त्र लेकर उस स्थान पर जाओ जहाँ पहले खर रहता था। वह स्थान अब उजाड़ हो चुका है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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