तेषां मध्ये विशालाक्षी कौशेयं कनकप्रभम्।
उत्तरीयं वरारोहा शुभान्याभरणानि च॥ २॥
मुमोच यदि रामाय शंसेयुरिति भामिनी।
वस्त्रमुत्सृज्य तन्मध्ये निक्षिप्तं सहभूषणम्॥ ३॥
अनुवाद
तब सुंदर-सुंदर अंगों वाली चौड़ी आँखों वाली सीता ने यह सोचकर कि शायद ये भगवान श्रीराम को कोई समाचार सुना सकें, अपने सुनहरे रंग की रेशमी साड़ी उतारी और उसमें वस्त्र और आभूषण रखकर उसे उनके बीच में फेंक दिया।