श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 54: सीता का पाँच वानरों के बीच अपने भूषण और वस्त्र को गिराना, रावण का सीता को अन्तःपुर में रखना  »  श्लोक 2-3
 
 
श्लोक  3.54.2-3 
 
 
तेषां मध्ये विशालाक्षी कौशेयं कनकप्रभम्।
उत्तरीयं वरारोहा शुभान्याभरणानि च॥ २॥
मुमोच यदि रामाय शंसेयुरिति भामिनी।
वस्त्रमुत्सृज्य तन्मध्ये निक्षिप्तं सहभूषणम्॥ ३॥
 
 
अनुवाद
 
  तब सुंदर-सुंदर अंगों वाली चौड़ी आँखों वाली सीता ने यह सोचकर कि शायद ये भगवान श्रीराम को कोई समाचार सुना सकें, अपने सुनहरे रंग की रेशमी साड़ी उतारी और उसमें वस्त्र और आभूषण रखकर उसे उनके बीच में फेंक दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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